خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
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سير وتراجم
महाराज राजसभेत आले. त्यांनी भूमीवर उजवा गुडघा टेकवून सिंहासनास वंदन केले. अष्टप्रधान आपल्या स्थानी उभे राहिले. सिंहासनासमोर पूर्वेकडे तोंड करून महाराज उभे राहिले. गागाभट्ट आणि पंडितजन उच्च स्वरात वेदमंत्र म्हणत होते. भरतखंडाच्या इतिहासातील तो अमृताचा क्षण प्रकटला. श्रूनृपशालिवाहन शके १५९६ आनंदनाम संवत्सर ज्येष्ठ शुध्द त्रयोदिशी शनिवार पहाटे पाच वाजता मुहूर्ताची घटिका भरली. आणि गागाभट्टांनी महाराजांवर छत्र धरले आणि एकच जयघोष उठला, महाराज. सिंहासनाधिश्वर क्षत्रियकुलावतंस राजा शिवछत्रपती की जय! जय! जय!
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 14 فبراير 2021
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