4.3
Biographies
लड़कियों की शिक्षा की वकालत करनेवाली, तालिबानी आतंकियों के सामने न झुकनेवाली मलाला का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ। मलाला के पिता स्वात में ‘खुशहाल पब्लिक स्कूल’ चलाते थे। तालिबानी स्कूलों को बंद करवा रहे थे, उस समय मलाला मात्र ग्यारह साल की थी। ज्यादातर महिलाएँ अत्याचार बरदाश्त करती रहती हैं और उसे सहना ही अपनी नियति मान लेती हैं। परंतु इस दुनिया में मलाला जैसी बच्ची भी है, जिसने तालिबान जैसे खूँखार आतंकी संगठन का खुला विरोध किया, उसे चुनौती दी। नतीजा यह कि इस मुखर आवाज को दबाने के लिए आतंकियों ने मलाला को गोली मार दी। जीवटता की मिसाल मलाला ने जूझते हुए मौत को भी मात दे दी। आतंकियों की इस क्रूर करतूत की सारी दुनिया ने कड़ी निंदा की। मलाला अपने साहस, अन्याय का विरोध करने और आतंकवाद के खिलाफ बिगुल बजाने तथा बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ते हुए विश्व जनमानस की चहेती बन गई। संसार के लोगों ने अपने-अपने तरीके से उसके कार्य को सराहा। उसकी सोलहवीं सालगिरह संयुक्त राष्ट्र संघ में मनाई गई। सन् 2014 में उसके साहस को रेखांकित करने के लिए विश्व का सबसे प्रतिष्ठित नोबल शांति पुरस्कार भी दिया गया। कम उम्र में ही अन्याय और आतंकवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद करनेवाली मलाला यूसुफजई की प्रेरक जीवनगाथा, जो हर शांतिप्रिय और संवेदनशील पाठक को पसंद आएगी और उसे प्रेरित करेगी।.
© 2020 Storyside IN (Audiobook): 9789353983673
Release date
Audiobook: 27 July 2020
Tags
4.3
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लड़कियों की शिक्षा की वकालत करनेवाली, तालिबानी आतंकियों के सामने न झुकनेवाली मलाला का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के स्वात जिले में हुआ। मलाला के पिता स्वात में ‘खुशहाल पब्लिक स्कूल’ चलाते थे। तालिबानी स्कूलों को बंद करवा रहे थे, उस समय मलाला मात्र ग्यारह साल की थी। ज्यादातर महिलाएँ अत्याचार बरदाश्त करती रहती हैं और उसे सहना ही अपनी नियति मान लेती हैं। परंतु इस दुनिया में मलाला जैसी बच्ची भी है, जिसने तालिबान जैसे खूँखार आतंकी संगठन का खुला विरोध किया, उसे चुनौती दी। नतीजा यह कि इस मुखर आवाज को दबाने के लिए आतंकियों ने मलाला को गोली मार दी। जीवटता की मिसाल मलाला ने जूझते हुए मौत को भी मात दे दी। आतंकियों की इस क्रूर करतूत की सारी दुनिया ने कड़ी निंदा की। मलाला अपने साहस, अन्याय का विरोध करने और आतंकवाद के खिलाफ बिगुल बजाने तथा बच्चों के शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ते हुए विश्व जनमानस की चहेती बन गई। संसार के लोगों ने अपने-अपने तरीके से उसके कार्य को सराहा। उसकी सोलहवीं सालगिरह संयुक्त राष्ट्र संघ में मनाई गई। सन् 2014 में उसके साहस को रेखांकित करने के लिए विश्व का सबसे प्रतिष्ठित नोबल शांति पुरस्कार भी दिया गया। कम उम्र में ही अन्याय और आतंकवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद करनेवाली मलाला यूसुफजई की प्रेरक जीवनगाथा, जो हर शांतिप्रिय और संवेदनशील पाठक को पसंद आएगी और उसे प्रेरित करेगी।.
© 2020 Storyside IN (Audiobook): 9789353983673
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Overall rating based on 51 ratings
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Showing 8 of 51
Rajendra
15 Dec 2020
Excellent
Arvind
26 Jul 2021
मी आतापर्यंत मलाला हे नाव ऐकले होते आणि ते एका नोबेल पारितोषिक विजेत्या मुस्लिम मुलीचे आहे एवढेच माहिती होते. सहजपणे हे पुस्तक ऐकायला घेतले आणि एका अद्भुत व्यक्तीचा परिचय झाला. मलाला ही एक अतिशय धाडसी मुलगी असून आपले ध्येय प्राप्त करण्यासाठी कठोरपणे सामोरे जाताना दिसते. कैलास सत्यार्थी आणि मलाला यांना मिळून शांती पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. या नंतर मी मलालाने दिलेले तीन भाषणे पाहिली. खूप प्रेरणादायी आहेत.
nikhil
3 Aug 2020
Through this book the situation of terrorism has been highlighted very nicely. Along with the effort of malala and his father for the education of women.
अरुण अण्णासाहेब कागबट्टे
4 May 2022
कम उम्र मे नोबेल की हक दार बनी मलाला,वो भी पहली पाकिस्तानी.तालिबान से संघर्ष और महिला के शिक्षा के लिये जो आवाज उठाई उस का फल अब दिख रहा है
Babu
7 Feb 2022
बहोत प्रेरणादायी
Neera
11 Mar 2023
Narration very inspiring 👏
Sanjeev
29 Apr 2022
Really an amazing biography, the biography teaches us the value of education.
Madan
25 Jan 2023
A must listen/read book for each Pakistani, girls and muslims the world over.
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