जब यह बात दुंदुभि के बड़े भाई मायावी को पता चली तो उसने अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोद लेने के लिए वाली से लड़ने की सोची, लेकिन वाली के असीम पराक्रम के सामने उसकी एक ना चली तो वो भागकर एक गुफा में छुप गया।
वाली उसके पीछे-पीछे गुफा के अंदर चला गया और उसने सुग्रीव से गुफा के बाहर रुकने को कहा। दोनों कई दिनों तक गुफा के अंदर थे। कई दिनों बाद सुग्रीव को गुफा के अंदर से रक्त बहता दिखाई दिया तो उसको लगा कि मायावी ने किसी तरह वाली का वध कर दिया।
सुग्रीव गुफा का दरवाजा एक बड़े से पत्थर से बंद कर किष्किंधा वापस आ गया और वहाँ का राजा बन गया।
जब वाली गुफा से बहार निकला और उसे सुग्रीव के राज्याभिषेक का पता चला तो उसे बड़ा क्रोध आया और सुग्रीव को मारने के लिए दौड़ा। सुग्रीव अपनी जान बचाकर ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगा।
जब वाली और दुंदुभि का द्वंद्व हो रहा था तो वाली ने दुंदुभि को उठाकर फ़ेंक दिया जिससे उसके रक्त की बूंदे ऋष्यमूक पर्वत पर तपस्या करते हुए मतंग ऋषि पर पड़ीं और उन्होंने शाप दे दिया कि जिसने भी यह किया है उसने अगर ऋष्यमूक पर्वत पर कदम रखा तो उसका सर फट जायेगा।
इसीलिए सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगा क्योंकि मतंग ऋषि के शाप के कारण वाली वहाँ नहीं जा सकता था। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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