यह बात सभी जानते हैं कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे, लेकिन रामायण के कई संस्करणों में हनुमान जी के पुत्र का वर्णन मिलता है।
लंका-दहन के बाद जब हनुमान जी वापस लौट रहे थे, तब उन्होंने अपनी गर्मी शांत करने के लिए समुद्र में डुबकी ली। उसी समय उनका पसीना एक मछली (जल-जंतु) के मुँह में चला गया।
बाद में उस मछली को पकड़कर अहिरावण के पास पाताललोक लाया गया। जब उस मछली का पेट फाड़ा गया तो उससे बलशाली मकरध्वज उत्पन्न हुए।
मकरध्वज को देखकर अहिरावण ने उन्हें अपने पास रख लिया और अपने महल की पहरेदारी करने का काम सौंपा।
जब अहिरावण भगवान् श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर अपने साथ पाताललोक ले गया और हनुमान जी उनको ढूंढते हुए वहाँ पहुंचे तब उनकी भेंट मकरध्वज से हुई।
हनुमान जी को अपने पुत्र से मिलकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ। परन्तु मकरध्वज ने उनको अहिरावण के महल के अंदर नहीं जाने दिया तो दोनों के बीच भीषण द्वन्द्व हुआ और हनुमान जी ने मकरध्वज को हराकर पाताललोक में प्रवेश किया और अहिरावण को मारकर भगवान् श्रीराम और लक्ष्मण को बचाया।
बाद में श्रीराम के आशीर्वाद से उन्होंने मकरध्वज को पाताललोक का राजा नियुक्त कर दिया। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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