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ศาสนา&จิตวิญญาณ
भारत की धरती पर अनेकों ॠषियों ने समय-समय पर अवतरित होकर अपने तप और साधना से मनुष्य समाज को संतुलित रखने में अमूल्य योगदान दिया है। समयानुसार समाज को समय-समय पर उनका मार्गदर्शन सदैव मिलता रहा है। हमारे सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी भी अनेकों वषोँ तक हिमालय की कंदराओं में ध्यान साधना करके अर्जित किए हुए ज्ञान को समाज में आकर समस्त मनुष्य जाति को अविरत नि:शुल्क बाँट रहे हैं।
यह अमूल्य दिव्य ज्ञान आने वाली पीढ़ी को भी प्राप्त हो, इस उद्देश्य से पूज्य गुरुदेव पिछले दस षोँ से प्रतिवर्ष ४५ दिवसीय गहन ध्यान अनुष्ठान करके ध्यान की उच्च अवस्था में मंगलमूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न करने के बाद उन्हें विश्व के अलग-अलग भूखण्डों पर प्रस्थापित करने की प्रक्रिया आरंभ कर चुके हैं। इन ४५ दिनों के गहन ध्यान अनुष्ठान के दौरान अपने गुरुओं के मार्गदर्शन पर साधकों की आध्यात्मिक प्रगति हेतु पूज्य गुरुदेव लिखित संदेश भी देते रहे हैं।
इस वर्ष भी २२ जनवरी से ७ मार्च २०१६ तक संपन्न हुए ४५ दिवसीय दशम गहन ध्यान अनुष्ठान के दौरान वर्तमान समय की मांग को ध्यान में रखकर अपने सहज-सरल लेखन शैली के माध्यम से पूज्य गुरुदेव ने दिव्य संदेशों के द्वारा, सभी साधकों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए कई विषयों पर मार्गदर्शन किया है जिसका संकलन इस पुस्तिका में किया गया है। लेखन शैली की गरिमा को ध्यान में रखकर कुछ आवश्यक शाब्दिक सुधार पूज्य गुरुदेव के द्वारा ‘अधिकृत’ माध्यम पूज्या गुरुमाँ द्वारा अनुमोदित हैं।
© 2020 Babaswami Printing & Multimedia Pvt Ltd (หนังสือเสียง ): 9781662246241
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หนังสือเสียง : 14 กรกฎาคม 2563
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