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दस प्रजापति
रुद्र से उत्पन्न सृष्टि से निराश होने के बाद ब्रह्माजी के अपने शरीर से दस पुत्र नारद गोद से, दक्ष अंगूठे से, वसिष्ठ प्राण से, भृगु त्वचा से, क्रतु हाथ से, पुलह नाभि से, पुलस्त्य कान से, अंगिरा मुख से, अत्रि आँख से और मरीचि मन से जन्मे। इन दस पुत्रों को प्रजापति भी कहते हैं। इन प्रजापतियों की संतानों से अनेक प्रजातियों का जन्म हुआ।
उसके बाद ब्रह्माजी की छाती से धर्म उत्पन्न हुआ और उनकी पीठ से अधर्म का जन्म हुआ। इसी प्रकार ब्रह्माजी के हृदय से काम, भौंहो से क्रोध, होंठ से लोभ, मुख से वाणी की देवी सरस्वती इत्यादि की रचना हुई। इस प्रकार सारे संसार की रचना ब्रह्मा जी के शरीर और मन से हुई। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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